कला क्या है | रघुवीर सहाय की कविता कला क्या है |
" कला क्या है " रघुवीर सहाय कला क्या है - कितना दुःख वह शरीर जज़्ब कर सकता है ? वह शरीर जिसके भीतर ख़ुद शरीर की टूटन होमन की कितनी कचोट कुण्ठा के अर्थ समझउनके द्वारा अमीर होता जा सकता है ? अनुभव से समृद्ध होने की बात तुम मत करोवह तो सिर्फ़ अद्वितीय जन ही हो सकते हैंअद्वितीय…