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तत्सम और तद्भव की परिभाषा – Tatsam And Tadbhav

तत्सम शब्द की परिभाषा
तत्सम शब्द की परिभाषा– “तत्सम शब्द” संस्कृत भाषा के दो शब्दों, तत् और सम् से मिलकर बनता है तत् का अर्थ – उसके तथा सम् का अर्थ – समान ,होता है।
अर्थात
तद्भव शब्द की परिभाषा
संस्कृत भाषा में प्रयोग होने वाले वे शब्द जो हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों(बिना किसी परिवर्तन के ) प्रयोग में लाये जाते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
तद्भव शब्द की परिभाषा– संस्कृत भाषा में प्रयोग होने वाले वे शब्द जिनका हिंदी में रूप परिवर्तन हो जाता है उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
अर्थात
तद्भव शब्द वह शब्द है जो- ‘तत्’ एवं ‘भव’ के योग से बनता है।
यहाँ पर तत् का अर्थ “उससे” तथा भव का अर्थ “विकसित” होता है।
तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के नियम
इनको पहचानने के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं —
1-तत्सम शब्दों के पीछे ‘क्ष’ वर्ण का प्रयोग किया जाता हैऔर तद्भव शब्दों के पीछे ‘ख’ या ‘छ’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – पक्षी = पंछी
2-तत्सम शब्दों में ‘व’ का प्रयोग किया जाता है। और तद्भव शब्दों में ‘ब’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – वन = बन
3-तत्सम शब्दों में ‘श’ का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में ‘स’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – दिपशलाका = दिया सलाई
4-तत्सम शब्दों में ‘श्र’ का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में ‘स’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – धन्नश्रेष्ठी = धन्नासेठी
5=तत्सम शब्दों में ‘ऋ’ की मात्रा का प्रयोग होता है।
जैसे – कृतगृह = कचहरी
6-तत्सम शब्दों में ‘ष’ वर्ण का प्रयोग किया जाता है।
जैसे – कृषक = किसान
7-तत्सम शब्दों में ‘र’ की मात्रा का प्रयोग होता है।
जैसे – आम्र = आम
अ, आ से प्रारम्भ होने वाले तत्सम – तद्भव शब्द
- अग्र = आगे
- आश्चर्य = अचरज
- आर्य = आरज
- आश्रय = आसरा
- अक्षि = आँख
- अंधकार = अँधेरा
- अगम्य = अगम
- आलस्य = आलस
- अश्रु = आँसू
- .आशीष = असीस
- .अनार्य = अनाड़ी
- अंगरखा = अंगरक्षक
- अमूल्य = अमोल
- अक्षर = अच्छर
- अशीति = अस्सी
- अक्षवाट = अखाडा
- अमृत = अमिय
- आशा – आस
- अर्द्ध = आधा
- अन्न = अनाज
- ओष्ठ = ओंठ
- अंध = अँधा
- अक्षोट = अखरोट
- अट्टालिका = अटारी
- अम्लिका = इमली
- अगणित = अनगिनत
- अध् = आज
- अष्टादश = अठारह
- अमावस्या = अमावस
- अर्पण = अरपन
- अन्यत्र = अनत
- अनार्य = अनाड़ी
- आम्रचूर्ण = आमचूर
- आदित्यवार = इतवार
- आम्रचूर्ण = आमचूर
- अज्ञान = अजान
- अन्यत्र = अनत
- अग्नि = आग
- अर्पण = अरपन
- आदित्यवार = इतवार
- अज्ञान = अजान
- आमलक = आँवला
- अकस्मात = अचानक
- अस्थि = हड्डी
- आश्विन = आसोज
- अंतःकथा = अंतर्कथा
- आम्र = आम
- आर्द्रक – अदरक
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